बिहार में ‘साइलेंट’ और स्त्री वोटरों के मतदान का राज़

स्त्रियों के कुल वोटों का अंदाज़ा लगाया जाए तो यह स्पष्ट हो जाता है कि कुल 38 फीसदी महिला वोटरों ने एनडीए के चुनाव चिह्नों के बटन दबाए, जबकि महागठबंधन के चुनाव चिह्नों के बटन दबाने वाली स्त्रियों का प्रतिशत 37 फीसदी रहा। केवल एक फीसदी का अंतर कहीं से यह साबित नहीं करता कि एनडीए की सरकार माताओं-बहनों ने बनायी है
Nov 18 2020 | Article

मोदी को उलटा पड़ेगा जंगलराज की याद दिलाना!

चूँकि ‘जंगल राज’ के आरोप के मुक़ाबले रखने के लिए ‘सुशासन बाबू का विकास’ है ही नहीं, इसलिए यह भी हो सकता है कि बार-बार लालू राज का ज़िक्र करने से पिछड़ी और दलित जातियों को कथित जंगल राज के बजाय लालू का वह सामाजिक न्याय न याद आ जाए जिसके तहत कमज़ोर जातियों को रंग-रुतबे वाले तबक़ों के…
Oct 30 2020 | Article

नेता के सामने क्यों नतमस्तक है भारतीय मीडिया?

दिल्ली में 2014 में नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद राजनीतिक विमर्श का पूरी तरह से ध्रुवीकरण हो गया। इस प्रक्रिया में कई टीवी चैनल पूँजीगत और विचारधारात्मक कारणों से खुल कर मोदी-मोदी की रट लगाने लगे। न केवल उन्होंने सत्तारूढ़ पार्टी को बेहिचक समर्थन देना शुरू किया, बल्कि उनके एंकर विपक्षी दलों और उनकी राजनीति पर..
Nov 18 2020 | Article

बिहार में ‘साइलेंट’ और स्त्री वोटरों के मतदान का राज़

भाजपा एक ख़ास तरह के परिवारवाद की जकड़ में है। यह संघ परिवार की जकड़ है, जो भले ही जैविक परिवार न हो, लेकिन वह विचारधारात्मक परिवार ज़रूर है, जो अपने पैदा किए संगठनों पर किसी जैविक परिवार से भी ज़्यादा कड़ा नियंत्रण रखता है।
Jan 26 2019 | Article

सपा-बसपा गठजोड़ से बिगड़ेगा बीजेपी का समीकरण,लग सकता है झटका !

2017 में भाजपा ने उत्तर प्रदेश में ‘सब जात बनाम तीन जात’ जैसे नारे के आधार पर गोलबंदी की थी। यह 1991 में भाजपा के कल्याण सिंह शैली की सोशल इंजीनियरिंग का 2017 का नया और अधिक व्यापक संस्करण था। इसका नतीजा यह निकला कि अति-पिछड़ी जातियों, ग़ैर-यादव ओबीसी जातियों और गैर-जाटव दलितों को भाजपा ने क्रमश: बसपा, सपा और कांग्रेस की तऱफ झुके तीन समुदायों के ‌ख़िलाफ़ खड़ा कर दिया।
Jan 23 2019 | Article

आरक्षण : यह कैसा मास्टर स्ट्रोक?

तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में हार के बाद बीजेपी को नई रणनीति अपनाने को मजबूर होना पड़ा। ऊँची जातियों को दस फ़ीसदी का आरक्षण भी इसी का नतीजा है। कुछ जानकारों ने दावा किया है कि मोदी ने इस आरक्षण से एक ऐसा मास्टर स्ट्रोक मार दिया है जिससे 2019 के चुनाव के लिए पूरी हवा उनके पक्ष में बहने लगेगी। लेकिन क्या डरे हुए नेता मास्टर स्ट्रोक मार सकते हैं?
Jan 19 2019 | Article

कृषि-नीति पर फैसला करना और आंदोलन से कैसे निबटा जाए

पहला मुद्दा संघात्मकता के औचित्य यानी केंद्र-राज्य संबंधों से जुड़ा था, और दूसरा विधि-निर्माण की किसी कार्रवाई के संविधान के हिसाब से सही होने या न होने से। कोर्ट ने इन दोनों पर गौर करने के बजाय कानूनों के कार्यान्वयन को स्थगित करने का आदेश दिया ताकि ‘किसानों की आहत भावनाओं पर मरहम लग सके और वे आत्मविश्वास
June 23 2021 | Article

अभय कुमार दुबे का ब्लॉग: 30 साल बाद सामाजिक न्याय की राजनीति का हश्र

भाजपा एक ख़ास तरह के परिवारवाद की जकड़ में है। यह संघ परिवार की जकड़ है, जो भले ही जैविक परिवार न हो, लेकिन वह विचारधारात्मक परिवार ज़रूर है, जो अपने पैदा किए संगठनों पर किसी जैविक परिवार से भी ज़्यादा कड़ा नियंत्रण रखता है।
June 23 2021 | Article

There is a Complex Plan Behind Hindutva’s Use of Dalit Iconography

Under strict monitoring by the Sangh-BJP strategic command, the dispensation headed by UP chief minister Yogi Adityanath, it seems, has finally decided to execute a complex plan – a plan that old timers would call the politics of ‘social engineering’ in the state. If everything transpires according to this script, Prime Minister Narendra Modi, riding this strategy, might emerge as ‘the first national leader of backward classes’ by the time we approach the 2019 Lok Sabha elections.
Jun 11 2017 | Article

Will Nitish ‘Kursi’ Kumar Find a Way Out of the Hole He Has Dug Himself?

On July 26, when national politics was reeling under the sudden impact of Patna’s coup d’état, Twitter creativity produced one of its most sardonic line. The telling comment in Hindi defined the expanding Modi Raj in one stroke: “Jahan ham chunav jeetate hain vahan to sarkar banate hi hain, jahan nahin jeetate vahan to nishchit roop se banate hain (We form government on winning election, but we definitely form government on failing to win)”.
June 3 2019 | Article

अभय कुमार दुबे का ब्लॉग: कश्मीर, पटेल, आंबेडकर और मोदी

भारतीय जनता पार्टी और उसकी सरकार कश्मीर के मसले पर भले ही अपने बहुमत के कारण कितनी भी आत्मविश्वस्त दिखती रहे, पर स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से यह साफ तौर पर दिखाई देता है कि प्रधानमंत्री धारा 370 को हटाने के मामले अपनी पार्टी की विरासत को नजरअंदाज करके किसी न किसी प्रकार उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन के साथ इस कदम को जोड़ने की पॉलिटिकल इंजीनियरिंग करने में लगे हुए हैं. इसीलिए उन्होंने अपने डेढ़ घंटे के भाषण में एक बार भी श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जिक्र नहीं किया.
Aug 22 2019 | Article

Congress faces formidable hurdles in regaining lost ground

Two years ago, in this very month, it received a historical drubbing in the 16th Lok Sabha election; now, it is looking at a new all-time low. After it lost power at the centre, the Congress could have recovered only through important victories at the state-level. But the grand old party has not only lost six major state elections (Haryana, Rajasthan, Maharashtra, Delhi, Kerala and Assam) since then, its lack of political acumen allowed the surrender of its domination in Arunachal Pradesh to the Bharatiya Janata Party (BJP).
may 20 2016 | Article

What Did the Prominent Journalists Observe in Kashmir?

While the three months long popular agitation, following the death of Hizbul-Mujahideen Commander Burhan Wani, and the recent killings of 18 soldiers in the border area of Uri, has plunged the region into a war hysteria, some sensible individuals, instead of relying on the information provided by the Government and the media, have on their own been trying to reach to the depth of the situation. I am experiencing this almost every day in Delhi.
Oct 6 2016 | Article